कुछ इस तरह मशरूफ रहते हैं, तेरे ख्वाबों में अब,
कि तनहा होकर भी, खालीपन का एहसास नहीं आता .
साफ़ नज़र आता है, सादी दीवारों पर चेहरा तेरा ,
तस्वीर सजाकर उसे धुंधला करना, अब रास नहीं आता
in हिन्दी शायरी
कुछ इस तरह मशरूफ रहते हैं, तेरे ख्वाबों में अब,
कि तनहा होकर भी, खालीपन का एहसास नहीं आता .
साफ़ नज़र आता है, सादी दीवारों पर चेहरा तेरा ,
तस्वीर सजाकर उसे धुंधला करना, अब रास नहीं आता