Mirza Ghalib Shayari in Hindi
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हमें पता है तुम कहीं और
के मुसाफिर हो,
हमारा शहर तो बस यूँ ही रास्ते में आया था !
इश्क़ ने गालिब
निकम्मा कर दिया,
वर्ना हम भी
आदमी थे काम के !
वो उम्र भर कहते रहे तुम्हारे सीने में दिल नहीं,
दिल का दौरा क्या पड़ा
ये दाग भी धुल गया !
फिर उसी बेवफा
पे मरते हैं,
फिर वही जिंदगी
हमारी है ।
मौत पे भी मुझे यकीन है,
तुम पर भी ऐतबार है,
देखना है पहले कौन आता है,
हमें दोनों का इंतजार है !